एक फूल दो माली (भाग 1) Kishanlal Sharma द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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एक फूल दो माली (भाग 1)

"मुझे बच्चा चाहिए।अपना बच्चा"
दीना नामर्द था।फिर भी चाहता था।उसकी पत्नी रेवती अपनी कोख से उसे बच्चा पैदा करके दे।पति की बात सुुुनकर रेेवती बोली,"तुम जानते हो नामर्द हो।फिर मेरी कोख से.बचच्चा कैसे होगा।"
" मैं नामर्द हूँ तो क्या
वह नामर्द था।जानता था वह बच्चा पैदा करने में सक्षम नही है।इसलिए उसने अपनी पतिव्रता पत्नी को अपने दोस्त मोहन लसल से शारीरिक संबंध जोड़ने के लिए प्रेरित किया।उसकी पत्नी रेवती ऐसा करना नही चाहती थी।लेकिन पति के बार बार जोर देने पर उसने पराये मर्द से संबंध बना लिए।फिर क्या हुआ?
रेवती का जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था।हर लड़की की तरह कुंवारेपन में उसने सपने तो बहुत ऊंचे देखे थे।लेकिन वह भी जानती थी।उसे कोइअमीर राजकुमार नही मिलेगा।उसका जीवनसाथी उसकी ही हैसियत का होगा।इस ही हुआ।जवान होने पर माता पिता ने उसकी शादी दीना से कर दी।दीना एक फैक्ट्री में काम करता था।
सुहागरात को जब दिना ने उससे शारीरिक संबंध जोड़े,तो उसका ध्यान एक बात की तरफ गया था।लेकिन पहला अनुभव होने के कारण उसे कुछ समझ मे नही आया था।पर रोज रात को बिस्तर में उसके साथ ऐसा होने लगा तो रेवती समझ गई कि उसका पति नामर्द है।उसकी शारीरिक भूख जगा तो सकता है।लेकिन बुझा नही सकता।
रावतिकी माँ ने हर भारतीय माँ की तरह उसे पतिव्रता धर्म का पाठ पढ़ाया था।उसे समझाया था।शादी जीवन भर का बंधन होता है।पति चाहे जैसा भी हो उसे ही अपना सर्वस्य मानना चाहिए।
दीना, रेवती का पति था।ईश्वर ने उसे मर्द नही बनाया।औरत के काबिल नही रखा तो इसमें उस बेचारे का क्या दोष था।दोस्त तो रेवती के भाग्य का था,जो उसे दीना पति के रूप में मिला था।शायद ऊपरवाले ने उसके साथ ही जोड़ी लिखी थी।रेवती ने मन ही मन मे समझौता कर लिया।पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए,पति के प्रति तन मन से समर्पित होने का निर्णय लिया।
दीना को भी अपनी शारीरिक अक्षमता का पता चल चुका था।वह समझ गया था कि वह औरत के मतलब का नही है।वह पत्नी की शारीरिक प्यास जगा सकता है,लेकिन उसे शान्तं नही कर सकता।यह जानते हुए भी वह रेवती से संतान चाहता था।वंश की बेल को आगे बढ़ाने वाली संतान।
अपनी संतान प्राप्ति की इच्छा की पूर्ति के लिए दीना पत्नी को मोहन से शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रेरित करने लगा।रेवती पतिव्रता से पतिता नही बनना चाहती थी।लेकिन शायद उसकी किस्मत में ऐसा होना लिखा था।तभी तो वह पति के दबाव में आ गई।
मोहन दीना का दोस्त और सहकर्मी था।उसकी पत्नी का देहांत हो चुका था।उसका दिन के घर खूब आना जाना था।न चाहते हुए भी पति के दबाव देने पर मोहन की तरफ झुकने लगी।वह किसी ने किसी बहाने मोहन के करीब पहुँचने का प्रयास करने लगी।वह मोहन के काफी करीब पहुंच चुकी थी।लेकिन अभी पतिव्रता धर्म नही तोड़ा था।लेकिन एक दिन
दीना की रात की ड्यूटी थी।मोहन उसके घर आया हुआ था।दीना के जाने के बाद बरसात होने लगी और मोहन को रुकना पड़ा।रेवती भी यही चाहती थी।
रेवती और मोहन के बिस्तर जरूर अलग थे लेकिन कमरा एक ही था।बरसात काफी तेज हो रही थी।बादलो की गर्जना और बिजली की चमक के साथ बरसात हो रही थी।मोहन की आंखों में नीँदनहीँ थी।होती भी कैसे एक जवान औरत उससे कुछ फासले पर लेटी थी।